डॉ दिलीप अग्निहोत्री
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि लखनऊ शहर में बरगद के पेड़ ना के बराबर बचे हैं। इसके चलते सुहागिनों को कटी हुई डाल की पूजा करके परंपरा का निर्वहन करना पड़ रहा है। डाल काटकर पूजन करना विवशता हो सकती है लेकिन हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं। पर्यावरण संरक्षण के दायित्व का पालन करते हुए हम संकल्प लें कि इस बार वट सावित्री व्रत के दिन या उसके बाद भी बरगद का पौधा रोपेंगे। महापौर ने स्वयं भी वट पौधा लगाकर यह सन्देश दिया।
महापौर ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के साथ पर्यावरणीय दृष्टि से भी वटवृक्ष का अलग महत्व है। मान्यता है कि बरगद की जड़े ब्रह्मा, छाल विष्णु और शाखाएं शिव है। लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार आज के दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इसी मान्यता के चलते हर साल सुहागिन सोलह श्रृंगार के साथ वट वृक्ष को 108 बार कच्चा धागा बांधकर पूजा करती हैं। संयुक्ता भाटिया जी राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान केंद्र एनबीआरआई परिसर में पहुंची और उस परिसर में लगे बरगद के पेड़ के इतिहास से रूबरू हुई।
सीएसआईआर और एनबीआरआई के निदेशक प्रॉफेसर एस के बारिक ने महापौर को बताया कि यह पेड़ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुई जंग का गवाह भी है। इस बरगद के पेड़ को राज्य जैव विविधता बोर्ड ने विरासत का दर्जा दिया है। यहां अंग्रेजों से संघर्ष में कई लोग शहीद हुए थे। वीरांगना ऊदा देवी ने इसी पेड़ पर चढ़कर अंग्रेजों से मोर्चा लिया था और कई अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया था। प्रॉफेसर बारिक ने कहा कि एनबीआरआई में लगे इस बरगद के पेड़ का इतिहास है और यह सौ वर्ष से पुराना होने के साथ ही अंग्रेजों से वीरांगना ऊदा देवी के संघर्ष का गवाह भी है।
प्रॉफेसर बारिक ने बताया कि पीपल, बरगद और पाकड़ भूकंपरोधी होते हैं। वटवृक्ष में विशिष्ट जल धारण क्षमता होती है।
एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि बरगद को विश्व की सबसे बड़ी छाया वाला वृक्ष बताया जाता है। पत्तों के साथ ही बरगद की जड़े भी काफी लाभप्रद हैं। बरगद के रस को घाव में लगाने से लाभ होता है। जोड़ों का दर्द और गठिया दूर रोग दूर करता है। फल को अल्सर की दवा बनाने में उपयोग किया जाता है।
एनबीआरआई उद्यान के हेड डॉ एस के तिवारी ने महापौर को पौधें तैयार करने की विधि से अवगत कराया और बताया कि प्रातः बहुत से लोग इन वृक्षों के नीचे मेडिटेशन करते हैं।
महापौर ने एनबीआरआई की तारीफ करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए लोगों को निशुल्क ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का नेक काम कर रहे हैं। महापौर ने निदेशक प्रॉफेसर बारिक से लखनऊ को प्राकृतिक ऑक्सीजन हब बनाने में सहयोग प्रदान करने को कहा और सर्वाधिक ऑक्सीजन पैदा करने वाले पेड़ पौधों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा जिससे लखनऊ वासियों में जनजागरण अभियान चलाया जा सके।