डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल बचपन से ही संघर्ष करते हुए आगे बढ़ी है। वह जिस विद्यालय में पढ़ती थी वहां मात्र तीन छात्राएं थी। वह विचलित नहीं हुई। अन्य दोनों छात्राओं का भी आत्मविश्वास बढ़ाया। परिवार का भी सहयोग मिला। उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्पोर्ट्स में भी उन्होंने बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वह शिक्षिका बनी। तभी से वह बालिकाओं की शिक्षा पर बल देती रही है। समाजसेवा के दौरान भी वह ऐसा करती रही। आज उनका जीवन स्वयं प्रेरणादायक है। कुलाधिपति के रूप में भी वह बालिकाओं की सफलता पर उन्हें प्रोत्साहित करती है। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने बालिकाओं महिलाओं को यही सन्देश किया। साथ ही समाज व शासन से भी अपनी जिम्मेदारी के निर्वाह का आह्वान किया। आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि महिलाएं जब तक सामाजिक एवं आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर रहेंगी तब तक उनका उत्पीड़न होता रहेगा। महिलाओं को सशक्त बनना होगा। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। ऐसे में समाज का दायित्व बढ़ जाता है। महिलाओं के लिये संचालित योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं होगा तो वे अपना महत्व खो देंगी। राज्यपाल ने कहा कि समाज में अपराधी एवं विकृत प्रवृत्ति के भी लोग हैं जिन्हें अपराध करने में संतोष मिलता है। छात्राओं को स्कूल जाते समय परेशान किया जाता है। ऐसे लोगों के कारण महिलाएं परिवार में भी स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करती। राज्यपाल ने केन्द्र एवं राज्य सरकार का महिलाओं के लिये चलायी जा रही योजनाओं के लिए।अभिनन्दन किया। कहा कि हमें देखना होगा कि इन योजनाओं का लाभ महिलाओं को मिले। उन्होंने राजभवन से सेफ सिटी परियोजना का शुभारम्भ किया। सौ पिंक पेट्रोल स्कूटी एवं दस चार पहिया महिला पुलिस वाहनों को झण्डी दिखाकर रवाना किया। निर्भया फण्ड से अनुदानित सेफ सिटी परियोजना हेतु चयनित देश के आठ महानगरों में लखनऊ भी सम्मिलित है।

महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन हेतु महिला पुलिस कर्मी का दस्ता पूरे शहर में भ्रमण करेगा। इससे सुरक्षा की भावना एवं गौरव का बोध होता है। सेफ सिटी परियोजना छह माह चलने वाला अभियान है। जिसके तहत पुलिस सहित सभी विभाग केन्द्रीकृत होकर महिला हितों के लिये कार्य करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों का दायित्व केवल प्रवेश, शिक्षण,परीक्षा एवं परिणाम तक सीमित नहीं होना चाहिए। बेटियों सुरक्षित हैं कि नहीं,उन्हें अधिकारों की जानकारी है या नहीं, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए। छात्राओं को उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा,पोषण, आत्मनिर्भरता,विवाह पश्चात स्वयं एवं परिवार के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्राओं एवं बच्चों को थानों में भी बुलाया जाये और उन्हें आवश्यक जानकारियों तथा विषम परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाये। महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारियाँ होनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि पुलिस एवं अन्य विभाग के अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में जाकर महिलाओं,विद्यालय की छात्राओं एवं शिक्षिकाओं तथा स्वयं सेवी महिला सगठनों से मिलकर महिलाओं के कल्याणार्थ चलायी जा रही योजनाओं एवं उनके अधिकारों की जानकारी देनी चाहिए। यह समाज के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। इसी के साथ महिलाओं की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर चर्चा करनी चाहिए।

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