अमरदीप सिंह, संवाददाता, गुजरात.

5वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात और राजस्थान में आयुर्वेद संस्थानों का उद्घाटन किया और देश को धनतेरस व दीपावली की शुभकामनाएं दी।

बता दें धनवंतरी जयंती के मौके पर देश में आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। आज धनवंतरी जयंती है। इस बार आयुर्वेद दिवस की थीम कोरोना वायरस की महामारी के प्रबंधन में आयुर्वेद की भूमिका रखी गई है।

गौरतलब है कि गुजरात के जामनगर में आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है। इसी तरह जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है। इन दोनों संस्थानों का उद्घाटन पीएम मोदी ने आयुर्वेद दिवस के मौके पर किया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने जनता को संबोधित भी किया। आइए जानते हैं उन्होंने अपने संबोधन में क्या कहा…

पीएम के संबोधन के अंश

– आयुर्वेद,भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। गर्व की बात है कि WHO ने Global Centre for Traditional Medicine की स्थापना के लिए भारत को चुना है।

– ये हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में। इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।

– देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।

– आज गुजरात व राजस्थान के जिन दो संस्थानों का कद बढ़ा है। देश के प्रीमियम आयुर्वेद संस्थान होने के कारण आप पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक तरीके से पाठ्यक्रम बनाने की जिम्मेदारी है।

– आज देश में हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों को भी समग्र रूप से सुलझाया जा रहा है। स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

– कोरोना से मुकाबले के लिए कोई इलाज नहीं था। इस दौरान हमारे देश के घरों में इम्यूनिटी बूस्टर का इस्तेमाल हुआ। आज हमारा देश इसी पारंपरिक ज्ञान की वजह से भी संभली स्थिति में है।

– दीपावली के पावन पर्व की आपको और आपके परिवार की अनेक-अनेक शुभकामनाएं

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