बयान वीर के पास जानकारी के साथ साथ गम्भीरता का अभाव..
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
कांग्रेस के युवराज राहुल को बिना किसी आधार के बयान दागने में महारथ हासिल है। अब तो यह कांग्रेस की स्थायी कमजोरी बन गए है। राहुल सरकार पर आरोप लगाते है। कांग्रेस इनसे खुद घिर जाती है। रही सही कसर सुरजेवाला जैसे प्रवक्ता कर देते है। ऐसा लगता है जैसे ऊपर से नीचे तक एक जैसी बयार चल रही है। ज्यादा समय नहीं हुआ जब राहुल को राफेल डील पर बयानों के लिए खेद व्यक्त करना पड़ा था। उन्हें फजीहत उठानी पड़ी थी। लेकिन उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया। एक बार वैसी ही स्थिति पैदा हुई है। राहुल गांधी ने सरकार पर आर्थिक भगोड़ों की कर्जमाफी करने का आरोप लगाया। बिडम्बना देखिए मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में वन फोटीफाइव लाख करोड़ रुपये को राइट ऑफ किया गया था। लेकिन राहुल अब करीब अड़सठ हजार करोड़ रुपये के राइट ऑफ को कर्जमाफी बता रहे है। वह इसे आर्थिक भगोड़ों पर सरकार की मेहरबानी बता रहे है। राहुल जिन भगोड़ों के नाम बता रहे है,उन्हें यूपीए सरकार ने ही फोन लोन की सौगात दी थी।
इस बार राहुल ने ट्वीट के माध्यम से सरकार पर हमला बोला है। उन्हें पुराना प्रसंग याद आ गया। कहा संसद में मैंने एक सीधा सा प्रश्न पूछा था। मुझे देश के पचास सबसे बड़े बैंक चोरों के नाम बताइए। वित्तमंत्री ने जवाब देने से मना कर दिया।
अब रिजर्व बैंक ने नीरव मोदी,मेहुल चोकसी सहित भाजपा के मित्रों के नाम बैंक चोरों की लिस्ट में डाले हैं। इसीलिए संसद में इस सच को छुपाया गया। अब उनके कर्ज माफ कर दिए। राहुल गांधी के सहयोगी भी कम नहीं। उधर राहुल ने ट्वीट किया,इधर उनके परम सहयोगी रणदीप सुरजेवाला ने मोर्चा संभाल लिया। कहा कि आरटीआई कानून के तहत आरबीआई ने देश के पचास सबसे बड़े बैंक डिफाल्टरों के नाम की जानकारी दी है, जिनका कर्ज माफ किया गया है। सरकार को इनकी कर्जमाफी का कारण बताना चाहिए। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने संसद में इन नाम का खुलासा नहीं किया। लेकिन आरबीआई की जानकारी से स्पष्ट हो गया है कि नीरव मोदी व मेहुल चौकसी जैसे भगोड़े डिफाल्टरों का सबसे ज्यादा बैंक लोन माफ किया गया है।
कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार को इनके लोन माफी का कारण बताना चाहिए।एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया था कि तीस सितंबर दो हजार उन्नीस तक पचास कंपनियों का अड़सठ हजार छह सौ करोड़ रुपए का कर्ज राइट ऑफ किया गया था।
राहुल गांधी ने इसी को लपक लिया था। लिखा कि अब आरबीआई ने नीरव मोदी, मेहुल चौकसी समेत भाजपा के मित्रों के नाम बैंक चोरों की लिस्ट में डाले हैं। सुरजेवाला भी पीछे कैसे रहते। उन्होंने भी ट्वीट किया लिखा कि बैंक लुटेरों द्वारा पैसा लूटो,विदेश जाओ,लोन माफ कराओ ट्रैवल एजेंसी का पर्दाफाश। भगोड़ों का साथ भगोड़ों का लोन माफ बना है भाजपा सरकार का मूलमंत्र।
लघु उद्योग,दुकानदारी,व्यवसाय ठप्प हो गए। इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा बैंक डिफॉल्टरों को अड़सठ हजार छह सौ सात करोड़ रुपए की माफी दी जा रही है। प्रकाश जावडेकर ने ठीक कहा कि राहुल गांधी राइट ऑफ का मतलब ही नहीं पता है। यह कर्ज माफी नहीं है। मोदी सरकार ने किसी का एक पैसे का कर्ज माफ नहीं किया है। भ्रम फैलाने से फायदा नहीं होगा।
राहुल गांधी के समझ के बाहर की बात हैं राइट ऑफ और वेव ऑफ में फर्क
राहुल गांधी को राइट ऑफ और वेव ऑफ का फर्क समझने के लिए पी चिदंबरम से ट्यूशन लेना चाहिए। राइट ऑफ अकाउंटिंग का नॉर्मल प्रोसेस है। यह बैंकों को डिफॉल्टर के खिलाफ कार्रवाई करने या रिकवरी करने से नहीं रोकता। इसके अलावा वित्तमंत्री निर्मला सीता रमण ने राहुल गांधी के बयान को निराधार व अनुचित बताया है। कहा कि कांग्रेस विल फुल डिफॉल्टर्स अर्थात जान बूझ कर कर्ज नहीं लौटाने वाले पर देश को गुमराह कर रहे हैं।
आरबीआइ के नियमों के मुताबिक एनपीए के लिए चार वर्षो तक प्रावधान करना होता है। जब पूरा प्रावधान कर दिया जाता है तो बकाये कर्ज की राशि को राइट ऑफ कर दिया जाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह माफ हो जाता है। इसका यह भी मतलब नहीं कि खाताधारक से कर्ज वसूलने की कोशिश नहीं की जाएगी। सरकार ने किसी का कोई भी कर्ज माफ नहीं किया है। राहुल गांधी जिन विलफुल डिफॉल्टर्स का नाम ले रहे है उन्हें यूपीए के कार्यकाल में फोन बैंकिंग का फायदा दिया गया था।
यूपीए सरकार में बड़े लोगों के कहने पर बैंकों ने उन लोगों को कर्ज दिया जो इसे ले कर फरार हो गये। इससे एनपीए की समस्या गंभीर हुई। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि यूपीए के कार्यकाल में आंख मूंद कर जो कर्ज दिया गया। उसकी वजह से ही एनपीए की समस्या ने विकराल रूप धारण किया।
वर्तमान सरकार ने तो नीरव मोदी के मामले में तेईस हजार करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियों को जब्त है। इसमें करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये की राशि की संपत्तियां विदेश में जब्त की गई हैं। विजय माल्या मामले में आठ हजार चालीस करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां जब्त की गई हैं। मेहुल चोकसी के मामले में करीब एक हजार नौ सौ करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं। इन तीनों से जुड़ी कुल अठारह हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की परिसंपत्तियों को जब्त किया गया है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के पीछे पड़ी हुई है। जाहिर है कि राहुल गांधी या तो स्वयं भ्रमित है या वह जानबूझकर भ्रम फैला रहे है।उनको राइट ऑफ और वेव ऑफ का फर्क समझने के बाद ही बयान देना चाहिए था। राइट ऑफ अकाउंटिंग का नॉर्मल प्रोसेस है। यह बैंकों को डिफॉल्टर के खिलाफ कार्रवाई करने या रिकवरी करने से नहीं रोकता।