जितेंद्र भदौरिया, गुजरात
केंद्र सरकार की स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) के तहत मुद्रीकरण के लिए सोना जमा करने में गुजरात के मंदिर सबसे आगे हैं। इसी के तहत राज्य के दो बड़े मंदिरों ने 200 किलोग्राम सोने को मोनेटाइज करवाया है। इससे मंदिरों को 120 के अधिक की धनराशि प्राप्त हुई हैं। मंदिर के ट्रस्टों के अनुसार मोनेटाइज से मिली रकम को चैरिटी के कार्यों पर खर्च किए जाएगा। इसके अलावा इसी धनराशि मंदिरों की मरम्मत, देखरेख और संचालन होगा। सोमनाथ और शक्तिपीठ में शामिल अंबाजी मंदिर को 200 किलोग्राम सोने को माेनेटाइज कराने से 120.6 कराेड़ रुपये मिले हैं। दोनों मंदिरों ने सोने को केंद्र सरकार की गोल्ड मोनेटाइज स्कीम (GMS) के तहत मोनेटाइज करवाया है।

सोमनाथ और अंबाजी मंदिर ने यह सोना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा किया गया है। अहमदाबाद के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट की एक स्टडी के मुताबिक केंद्र सरकार की गोल्ड मोनेटाइज स्कीम में देश के लोगों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। देश में लोगों के पास मौजूद सोने का केवल 0.22% इस योजना के तहत मोनेटाइज हुआ है, लेकिन गुजरात की दो बड़े मंदिरों ने बहुत कम समय में 200 किलोग्राम सोना बैंकों में जमा किया है।

गौरतलब है की केंद्र की GMS स्कीम के तहत मीडियम टर्म डिपॉजिट पर 2.25% सालाना ब्याज मिलता है, जबकि लॉन्ग टर्म डिपॉजिट पर 2.50% सालाना ब्याज मिलता है। इससे मन्दिर को दुगना फायदा होता है व्याज के रूप में मिलने वाली रकम मंदिर अपने कामो के लिए खर्च करता है जबकि सोना अपनी बढ़ती कीमतों के साथ जमा भी रहता है
















