सत्यम सिंह ठाकुर, गुजरात
गुजरात के वड़ोदरा में बच्चो के पानी में डूबने से हुई मौत के हादसे ने एक बार फिर कुम्भकर्णीय नींद में सो रहे प्रशाशन की पोल खोल दी है। अभी मोरबी पूल त्रासदी और सैकड़ो की डूबकर हुई मौत को लोग भूले भी नहीं है की वड़ोदरा के हरनी तालाब में तंत्र और आयोजकों की लापरवाही से 14 मासूम बच्चो और २ शिक्षकों के डूबने से मौत हो गई
दरअसल कल शाम करीब 4.30 बजे न्यू सनराइज स्कूल के ६० से अधिक छात्र छात्राये पिकनिक के लिए हरनी तालाब पहुंचे जहा १४ की क्षमता वाली एक बोट में २७ लोग सवार हो गए जिसमे २ शिक्षक और 24 बच्चे थे इसी दौरान अचानक नाव पलट गई और तमाम लोग पानी में डूबने लगे इस हादसे में दो शिक्षक और 14 बच्चो की मौत हो गई , नाव पर सवार दस बच्चों को किसी तरह से बचा लिया गया है. जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. हादसे के बाद वडोदरा पुलिस ने मामले में 18 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.साथ ही जिला मजिस्ट्रेट को भी मामले की जांच कर १० दिन में रिपोर्ट सौपने को कहा गया है
हैरानी की बात ये है की क्षमता से कही ज्यादा लोगो बोट में सवार हुए , बच्चो को लाइफ जैकेट तक नहीं पहनाया गया , नाव में कोई लाइफ गार्ड भी सवार नहीं था। हादसे के बाद राज्य ने ४ लाख और केंद्र सरकार ने २ लाख आर्थिक मदद की घोषणा कर दी , मुख्यमंत्री और गृह राज्य मंत्री घटना स्थल और अस्पताल में पहुचे और पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की आश्वाशन दिया लेकिन जिन घरो के चिराग हमेशा हमेशा के लिए बुझ गए वो इस मदद या आश्वाशन के बावजूद कभी नहीं रोशन होने वाले।
वही अब इस हादसे पर राजनीती भी शुरू हो गई है विपक्ष ने साफ़ तौर पर इसे हादसा नहीं बल्कि सामूहिक हत्या बताया है और आरोप लगगया है की मोरबी हादसे से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया