हेमांगिनी पटेल, संवाददाता, दक्षिण गुजरात.
- CORONA: कोरोना का उपचार फास्टिंग से भी संभव
- मां और दो बेटों ने बांटे अपने अनुभव, महज चार दिन में हो गए स्वस्थ
सूरत. आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सुन कर आपको एक बार विश्वास तो नही होगा। कोरोना को ले्कर नेचुरोपैथी चिकित्सक ने एक ऐसा दावा किया हैं जिसे सुनकर लोग अपने दांतो तो तले उंगलीयां दबाने को मजबूर हो गये। दुनियाभर को दस महीने से बुरी तरह परेशानी में डाल रखी कोरोना महामारी की फिलहाल कोई ठोस दवा-उपचार नहीं मिली है और ना ही इसके पुख्ता लक्षणों की ही पुष्टि हो पाई है जबकि अकेले भारत में इस महामारी से ग्रसित लोगों की संख्या 70 लाख करीब पहुंचने वाली है। ऐसी स्थिति में मात्र भूखे रहकर कोरोना को शिकस्त देने की बात मानने में तो नहीं आती। लेकिन ऐसा दावा ना केवल नेचुरोपैथी चिकित्सक बल्कि स्वस्थ हुए मां-बेटों ने भी किया है।
फास्टिंग ट्रीटमेंट से कोरोना को शिकस्त देने की घटना गुजरात की औद्योगिक राजधानी सूरत में बनी है। इस बारे में मूल आगरा निवासी अंजनी गर्ग ने पत्रिका संवाददाता के साथ अपने अनुभव शेयर करते हुए बताया कि हेयर कटिंग के चलते घर में 21 सितम्बर को कोरोना ने प्रवेश किया था और उसका असर सुबह में कटिंग के बाद शाम को ही पति मनीष को बॉडी पेन से महसूस होने लगा। अगले दिन उनका सीआरपी व रेपिट टेस्ट करवाया गया तो वे पॉजिटिव आए और उन्हें तत्काल प्रभाव से सिटीलाइट में महाराजा अग्रसेन आइसोलेशन सेंटर में भर्ती कराया गया। मनीष को सेंटर में भर्ती हुए शाम ही हुई थी कि बड़े बेटे अक्षत गर्ग को फिवर की शिकायत हुई और इससे घर में सभी घबरा गए और अगले दिन सुबह अक्षत व उससे छोटे बेटे लोमेश के साथ अंजनी ने भी कोविड टेस्ट करवाया और तीनों ही पॉजिटिव आए। इसके बाद वे भी महाराजा अग्रसेन आइसोलेशन सेंटर में दाखिल हो गए। हालांकि इस दौरान कोरोना पॉजिटिव होने के साथ एक भय यह भी जेहन में बन रहा था कि 25 सितम्बर से यह आइसोलेशन सेंटर बंद होगा और उन्हें उपचार के लिए दूसरी जगह जाना पड़ेगा, पता नहीं वहां किस तरह की व्यवस्था है। इसके बाद 23 सितम्बर की शाम नेचुरोपैथी डॉक्टर योगेश शर्मा सेंटर में आए उन्होंने बातचीत में फास्टिंग ट्रीटमेंट के बारे में बताया और वो अंजनी समेत दोनों बच्चों को ठीक लगा। इस पर सभी ने डॉक्टर शर्मा से पूछा कि क्या वे घर जा सकते हैं तो उन्हें बताया कि वे बिल्कुल घबराए बगैर घर जा सकती है और घर पर ही फास्टिंग ट्रीटमेंट ले सकती है।
यह रहा फास्टिंग ट्रीटमेंट
कोरोना से मय परिवार जूझ रही अंजनी व दोनों बच्चों को नेचुरोपैथी डॉक्टर शर्मा ने बताया कि वे केवल नारियल पानी, फलों का रस व फल का ही उपयोग करेंगे और 24 से 27 सितम्बर लगातार तीनों ने ऐसा ही किया और 27 की रात वेजिटेबल सूप पीया। इस दौरान तीनों मां-बेटों को किसी तरह की शारीरिक शिकायत महसूस नहीं हुई और 28 सितम्बर से अंजनी घर के सभी काम भी पहले की तरह करने लगी। 6 अक्टूबर को क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद सभी के कोविड टेस्ट करवाए जो नेगेटिव आए।
हल्का-फुल्का योग-प्राणायाम भी
कोरोना के फास्टिंग ट्रीटमेंट के दौरान घर पर सभी ने हल्का-फुल्का योग-प्राणायाम भी किया। इसके बारे में अक्षत व लोमेश ने बताया कि फेफड़ों की मजबूती के लिए श्वसन प्रक्रिया से जुड़े अनुलोम-विलोम, भिका जैसे योग-प्राणायाम के अभ्यास हलकी गति से किए गए। इसके अलावा जलनेति का प्रयोग भी सभी ने किया। कोरोना पॉजिटिव होने से पहले शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 96 था वो अब बढ़कर 99 हो गया है। हालांकि इस पूरी अवधि में इनके पिता मनीष मेडिकल ट्रीटमेंट पर ही रहे।
भरोसे की बात, आसान है उपचार
नेचुरोपैथी में बड़ी आसानी से कई जटिल शारीरिक व्याधियों के उपचार संभव है, यह केवल भरोसे पर आधारित है। हालांकि बड़े खर्च के बगैर सीधे-सरल उपचार पर लोग जल्दी यकीन नहीं करते, लेकिन यह संभव है।