- कार में जिंदगी काट रहा बिजनेसमैन का परिवार
- सड़क किनारे गाड़ी लगा सो जाते
- उसी में बैठ खाते खाना
- कार बना आशियाना
मुम्बई। देश में लॉकडाउन लागू हुए दो महीने होने वाले हैं लेकिन जीवन पटरी पर लौटता नजर नहीं आ रहा है। मजदूरों का पलायन अब भी जारी है। लोग लगातार घर लौटने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। वहीं इस बीच एक परिवार अपनी कार से मुंबई से बिहार जाने के लिए निकला है. परिवार जैसे ही रात होते ही वही कोई अच्छी जगह देख कर रूर जाते हैं और कारों को अपने आशियाना बना लेते हैं। इसके अंदर जरुरत का वो हर सामान हैं जो एक घर में होता है। रास्ते में ही अपने सुविधानुसार खाना बनाते खाते भी हैं।
दरअसल, मुंबई में सीएसटी पर कपड़े बेचने का बिजनेस करने वाले शांतनु कुमार अपने पूरे परिवार के साथ चार दिन पहले मुंबई से बिहार के लिए निकले हैं। उनके साथ उनकी पत्नी और दो बेटियां प्रिया व रिया थीं। उन्होंने एक रात भोपाल में सड़क किनारे बिताई। शांतनु कुमार का कहना है कि वह रात में सफर नहीं करते हैं, जहां शाम हो जाती है, कार को वहीं रोक देते हैं और पूरी रात वहीं बिताते हैं।
शांतनु कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में उनका धंधा ठप हो गया था। मुंबई में कोरोना का कुछ ज्यादा ही कहर है। इस लिए वहां हमको खाने-पीने का सामान जुटाना भी मुश्किल हो रहा था। तो ऐसे में हमने अपने गांव जाने का फैसला लिया।
इस परिवार ने अपनी कार को एक छोटा सा घर बनाकर रखा है, उन्होंने इसमें कंबल, खाने-पीने का सारा सामान रखा हुआ है। वह सुबह पहले किसी खेत में पड़ने वाले ट्यूबवेल पर नहाते हैं, फिर गाड़ी से स्टोव निकालकर खाना बनाते हैं, इसके बाद अपने सफर पर निकल पड़ते हैं। हालांकि उन्होंने एक या दो बार ही सफर में खाना बनाया है, क्योंकि रास्ते में कई लोग खाने की पैकेट बांट रहे हैं, तो वह भी उनको लेकर अपना पेट भर लेते हैं।
शांतनु ने बताया कि जैसे ही हमने मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश किया तो लोग जगह-जगह मदद कर रहे थे। भरोसा ही नहीं हुआ लोग इतने अच्छे भी हैं। संकट के इस दौर में लोग सड़क पर खाने-पीने और अन्य जरूरत का सामान लेकर खड़े हुए हैं। वह हर तरह से पलायन करने वालों की मदद कर रहे हैं।