डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मूलतः शिक्षक रहे है। वह मिर्जापुर के केबी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रध्यापक थे। यह संयोग था कि राजनाथ सिंह शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर चीन के प्रतिनिधिमंडल से मास्को में मुखातिब थे। यह बैठक सामान्य परम्परा से अलग थी। इसे क्लास रूम कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि इसमें राजनाथ सिंह चीन की क्लास ले रहे थे। उन्होंने चीन को शिक्षक की भांति अज्ञानता से बाहर निकलने की नसीहत दी। राजनाथ सिंह का यह क्लास विद्वतापूर्ण था। उन्होंने उदाहरण देकर चीन को समझाया कि उसे यथास्थिति कायम करनी होगी। संघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी राजनाथ सिंह ने चीन को समझदारी से कार्य करने को कहा। अभी तक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को ही जलालत झेलनी पड़ती थी। क्योंकि उसके द्वारा प्रयोजित आतंकवाद हमेशा चर्चा में आ जाता था। लेकिन अब उसका आका चीन भी इसी श्रेणी में शामिल हो गया है। मास्को में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में यह देखने को मिला। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के सामने ही उसकी हिंसक गतिविधियों को उठाया। कहा कि चीन को अपनी अज्ञानता छोड़नी होगी। क्योंकि ऐसी अज्ञानता ही अंततः विश्वयुद्ध के कारण बनती है। पिछले कुछ वर्षों के प्रयास से चीन और भारत आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। दोनों देशों के शीर्ष स्तर की कई बार वार्ता हुई थी। वह टू वन वार्ता से भी विश्वास बहाली के प्रयास किया गया था। लेकिन चीन अपनी विश्वासघात की प्रवत्ति छोड़ नहीं सका। उसने कोरोना संकट के समय ही भारतीय सीमा पर हिंसक गतिविधि शुरू कर दी थी। उसकी हरकतों के कारण सीमा पर तनाव बना हुआ है। राजनाथ सिंह ने इसी संदर्भ में चीन को नसीहत दी। राजनाथ सिंह ने जो कहा उसे दुनिया ने ध्यान से सुना। वैसे भी इस संघठन के देशों में दुनिया की चालीस प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है। राजनाथ ने कहा कि शांतिपूर्ण,स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र के लिए विश्वास और सहयोग, गैर आक्रामकता, अंतरराष्ट्रीय नियम कायदों के लिए सम्मान, एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता तथा मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है। जाहिर है कि चीन इन्हीं नियमों की अवहेलना कर रहा है। राजनाथ सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का विषय उठाया। इस वर्ष इन दोनों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ है।

संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण दुनिया को आधार प्रदान करता है जहां अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा देशों की संप्रभुता का सम्मान किया जाता है। देश दूसरे देशों पर एकपक्षीय तरीके से आक्रमण करने से बचते हैं। राजनाथ का यह कथन खासतौर पर चीन के लिए था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य भी है। ऐसे में उसकी जिम्मेदारी भी अधिक है। लेकिन वह तो विश्व युद्ध की स्थिति उत्तपन्न करने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान जैसे आतंकी मुल्कों को वह संरक्षण देता है। खुद भी हिंसक गतिविधियों में लगा है। ऐसे देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए। जबकि हिंसा,तनाव,आतंकवाद रोकने के लिए संस्थागत प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत वैश्विक सुरक्षा ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भारत आतंकवाद के सभी प्रारूपों और इसका समर्थन करने वालों की स्पष्ट तौर पर निंदा करता है। जाहिर है कि भारतीय सीमा पर चीन की हरकत भी आतंकवादी कृत्य है। इधर भारतीय सैनिकों ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पीछे कर एक अहम पोस्ट पर अपना कब्जा जमा लिया है। उधर मास्को में राजनाथ सिंह ने चीन को यथास्थिति बनाये रखने की नसीहत दी। उसकी हरकतों से ही सिमा पर तनाव बढ़ रहा है। सीमा पर विवाद खत्म करने के लिए उसे अपनी सेना को पीछे हटाना होगा। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए चीन को प्रयास करना होगा। इसके अलावा उन्होंने सैनिकों को तेजी से हटाने के मामले को लेकर भी जोर दिया।

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