डॉ दिलीप अग्निहोत्री
गांव और किसान की समस्या दशकों पुरानी है। इस ओर पहले पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। कृषि में लागत तो बढ़ती रही,लेकिन उसके अनुरूप लाभ नहीं मिला। पीढ़ी दर पीढ़ी जोत कम होती गई। इसलिए गांव से पलायन शुरू हुआ। वहाँ बाजार, उद्योग कुटीर व लघु उद्योग नही थे,इसलिए रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो सके। नरेंद्र मोदी सरकार कृषि और ग्रामीण विकास की दिशा में कारगर कदम उठा रही है। मृदा परीक्षण योजना को व्यापक रूप से लागू किया गया। किसानों को बताया गया कि आवश्यकता से अधिक खाद व पानी दोनों ही फसल के लिए नुकसान देह होता है। मृदा परीक्षण ने कृषि लागत को कम करने में योगदान दिया। दशकों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण करने का कार्य शुरू किया गया। ड्रिप, स्प्रिंगलर और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के महत्व व जल संचय के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि खेत को जल से लबालब भर कर सिंचाई करने की आदत को छोड़ने की जरूरत है। वन संरक्षण और जैव विविधता का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। मोदी ने युवा कृषि वैज्ञानिकों से भारत में खाद्य तेलों,फल सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने,किसानों को पानी की बचत करने वाली सिंचाई की तकनीकों के प्रति जागरूक बनाने तथा जैव विविधता जैसे मुद्रों पर ध्यान देने की अपील की। मोदी उत्तर प्रदेश में झांसी में स्थापित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में कृषि विज्ञान के छात्र छात्राओं से बात कर रहे थे। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सत्तर हजार करोड़ रुपये से अधिक के खाद्य तेलों का आयात करना पड़ रहा है। आत्मनिर्भरता का लक्ष्य किसानों को एक उत्पादक के साथ ही उद्यमी बनाने का भी है। किसान और खेती, उद्योग के रूप में आगे बढ़ेगी तो बड़े स्तर पर गांव में और गांव के पास ही रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर तैयार होंगे। गांव की पूरी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भर बनाना है। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संबोधित किया। कहा कि किसानों की बुनियादी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि आदि योजनाओं तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से कृषकों को लाभ हुआ है। कृषि विज्ञान केन्द्रों से स्थानीय तौर पर कृषि तकनीकी का प्रसार हुआ है।
बुंदेलखंड में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से सिंचाई समस्या का कुछ हद तक समाधान सम्भव हुआ है। प्रधानमंत्री जल जीवन योजना के अन्तर्गत बुंदेलखंड में हर घर नल योजना प्रारम्भ की गयी है। बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा के समाधान के लिए डेढ़ हजार से अधिक गौ आश्रय स्थल बनाए गये हैं। इसमें डेढ़ लाख से अधिक निराश्रित गौवंश को आश्रय प्राप्त हो रहा है। इन आश्रय स्थलों की जैविक कृषि में भी बड़ी उपयोगी भूमिका है। बुंदेलखंड क्षेत्र को देश की राजधानी से जोड़ने के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया जा रहा है। केन्द्र सरकार के सहयोग से वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा बीस नये कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किये गये हैं। रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से बुंदेलखंड क्षेत्र के दोनों मण्डलों में कृषि विश्वविद्यालय स्थापित हो गये हैं।