जो कह दिया वह शब्द थे ;
जो नहीं कह सके
वो अनुभूति थी ।।
और,
जो कहना है मगर ;
कह नहीं सकते,
वो मर्यादा है ।।
जिंदगी का क्या है ?
आ कर नहाया,
और,
नहाकर चल दिए ।।
बात पर गौर करना- —-
पत्तों सी होती है
कई रिश्तों की उम्र,
आज हरे——-!
कल सूखे ——-!
क्यों न हम,
जड़ों से;
रिश्ते निभाना सीखें ।।
रिश्तों को निभाने के लिए,
कभी अंधा,
कभी गूँगा,
और कभी बहरा ;
होना ही पड़ता है ।।
बरसात गिरी
और कानों में इतना कह गई कि———!
गर्मी हमेशा
किसी की भी नहीं रहती ।।
नसीहत,
नर्म लहजे में ही
अच्छी लगती है ।
क्योंकि,
दस्तक का मकसद,
दरवाजा खुलवाना होता है;
तोड़ना नहीं ।।
घमंड———–!
किसी का भी नहीं रहा,
टूटने से पहले ,
गुल्लक को भी लगता है कि ;
सारे पैसे उसी के हैं ।
जिस बात पर ,
कोई मुस्कुरा दे;
बात ——–!
बस वही खूबसूरत है ।।
थमती नहीं,
जिंदगी कभी,
किसी के बिना ।।
मगर,
यह गुजरती भी नहीं,
अपनों के बिना ।।