भूमिका, संवाददाता, गुजरात

 

गुजरात। कोरोना संक्रमण, न केवल शहरों को अपनी चपेट में ले चुका है बल्कि उसने अब ग्रामीणों को भी अपने काल के गाल में लीलना शुरू कर दिया है. गुजरात के गांवों में कोरोना का कहर कुछ इस कदर बरपा है की कई गांव में शमशान की चिताये ठंडी नहीं हो पा रही है।

आलम ये है की लोग अब गाँव में लोगो के बीच रहने की बजाय खेतों में रहने चले जा रहे है। ये तस्वीर इस बात की गवाह हैं कि अपने परिवार को लेकर घर के सामान के साथ लोग खेतों में खुले आसमांन के नीचे जा रहे हैं। ये तस्वीर इस बात कि तस्दीक कर रही हैं कि लोगों में कोरोना से हो रही मौतों को लेकर किस तरह का खौफ का महौल हैं।

गुजरात एक साबरकांठा जिले में कोरोना का कहर राज्य के कई जिलों की तरह जमकर बरपा है। सरकार भले ही सब सलामत होने का दवा कर रही हो मगर गाँव में लोगो के घर पर अब ताले नज़र आ रहे है जो करना की दहशत के चलते है। हालत ये है की लोग अब गाँवों की बस्तिया छोड़ खेतो में बसेरा कर रहे है। ग्रामीण अपने मवेशी और घरेलु साजोसामान लेकर खेतो में बसने चले गए है।  ऐसा ही एक गांव है हिम्मतनगर के करीब प्रान्तिज का धुलेटा जहा 25 से ज्यादा परिवार खेतो में रह रहे है।

धुलेटा गाँव में सरकारी कागजो में सब सलामत दिखाई देता है लेकिन पिछले एक हफ्ते में ही हुई 7 मौतों ने ग्रामीणों में दहशत पैदा कर दी है और वही 40 लोग पॉजिटिव भी है ग्रामीणों की शिकायत है की स्वास्थ्य विभाग यहाँ एक भी केस नहीं बता रहा है जबकि हकीकत इससे बिलकुल अलग है ऐसे में गाँव के अग्रणीओ और स्वास्थ्य विभाग ने यहाँ मेडिकल सेवाओं की व्यस्था की है ,प्रशाशन की लापरवाही के चलते आज घर होते हुए लोग खुले आसमान के निचे रहने को मजबूर है।

 

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