अमरदीप सिंह, संवाददाता, गुजरात
गुजरात भर के पूर्व सैनिक एक बार गुजरात सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन कर विरोध पर उतर आये है , ये सैनिक पिछले काफी समय से अपनी 14 मांगों को लेकर गांधीनगर में आंदोलन कर रहे थे जिसके बाद राज्य सरकार राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों की कई मांगें मान ली थी और बाकी मांगो पर भ्ही जल्दी ही विचार कर समाधान का आश्वाशन दिया था लेकिन कुछ दिनों के इंतज़ार के बाद अब फिर पूर्व सैनिक अपनी बाकी की मानगो को लेकर आंदोलन की राह पर चल पड़े है और इस बार इन्हे अर्ध सैनिक दल का भी समर्थन मिल रहा है
कुछ दिन पहले ही आंदोलनकारी पूर्व सैनिकों को शांत करने की कोशिश के तहत राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने के साथ वीरता पदक विजेताओं के लिए नकद पुरस्कारों में भी बड़ी बढ़ोतरी कर दी। सरकार ने एक आधिकारिक सुचना के तहत कहा था की सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र विजेता के लिए नकद पुरस्कार को 22,500 रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि अशोक चक्र से सम्मानित व्यक्ति को 20,000 रुपये के बजाय राज्य सरकार से एक करोड़ रुपये मिलेंगे वही सेवा के दौरान शहीद हुए एक सैनिक की पत्नी या परिवार को दिये जाने वाले मुआवजे की राशि को मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये किया गया है लेकिन अब सैनिक चाहते हैं कि सरकार उनकी सभी 14 मांगों को स्वीकार कर ले और एक सरकारी प्रस्ताव जारी करे जिसे लेकर एक बार फिर सैनिक गांधीनगर में लामबंध होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की तयारी कर रहे थे जिनमे से ज्यादातर लोगो को गांधीनगर में प्रवेश करने से पहले ही रोक लिया गया और इससे नाराज़ सैनिको ने वही धरना प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी
राज्य सरकार ने सैनिको की बाकी की लंबित मांगो को लेकर ये आश्वाशन दिया था की इन मांगो के लिए एक समिति बनाई गई है जो जल्दी ही पूर्व सैनिकों की अन्य मांगों पर चर्चा करेगी और अंतिम निर्णय के लिए अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी. गुजरात विधानसभा चुनावो से ठीक पहले हो रहे ये आंदोलन गुजरात में सत्ताधीन बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकते है